“मुंबई का हाई-प्रोफाइल मर्डर केस: कैसे ‘स्लो पॉइजन’ से हुई कमलकांत शाह की रहस्यमयी मौत?”1कमलकांत शाह मर्डर केस

कमलकांत शाह मर्डर केस : मुंबई का “सेंटा क्रूज वेस्ट” इलाका, “दत्तात्रेय रोड” में “गणेश कृपा” नाम की एक सोसाइटी थी। इस सोसाइटी के एक फ्लैट में एक परिवार रहता था। इस परिवार में कुल पाँच सदस्य थे। घर के मुख्य सदस्य का नाम “कमलकांत शाह” था, उनकी पत्नी का नाम “काजल शाह” था, उनकी एक बीस साल की बेटी और सत्रह साल का एक बेटा था। साथ ही, जो कमलकांत शाह की माताजी “सरला देवी” हैं, वह भी उनके साथ ही रहा करती थीं।

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कमलकांत जब बहुत छोटे थे, उसी समय पर उनके फादर की डेथ हो गई थी। लेकिन कमलकांत ने अपनी मेहनत के दम पर मुंबई में अपना गारमेंट्स का बिजनेस खड़ा किया। उनकी खुद की गारमेंट्स की फैक्ट्री थी। अपनी तीनों बहनों को पाल-पोस कर बड़ा किया और फिर उनकी शादी भी कराई। और उसके बावजूद भी कमलकांत की अर्निंग बहुत ही अच्छी थी, यानी कि एक रिच क्लास सोसाइटी में रहते थे और अच्छा-खासा पैसा भी कमाते थे। इस परिवार के पास कोई भी कमी नहीं थी, लेकिन इस परिवार को शायद यह नहीं पता था कि आने वाला समय इनके लिए बहुत ही दुखदाई होने वाला है।

अगस्त दो हजार बाईस में कमलकांत की माताजी “सरला देवी” की तबीयत अचानक से खराब हो जाती है। उन्हें नजदीक के हॉस्पिटल में एडमिट कराया जाता है, वहाँ पर उनके टेस्ट वगैरह होते हैं, जिसमें कोई मेन सिंटमोबाइल आता है। जहाँ पर दस दिनों के इलाज के बाद, अगस्त दो हजार बाईस में ही “सरला देवी” की मृत्यु हो जाती है। डॉक्टर्स रिपोर्ट में बताते हैं कि सरला देवी के मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के कारण मृत्यु हुई है।

अब कमलकांत, साथी जो रिलेटिव होते हैं, सभी को लगता है कि माता जी की काफी उम्र हो चुकी थी, इस कारण से उनके मल्टीपल ऑर्गन फेलियर हुआ और उनकी मृत्यु हो गई। किसी को भी कोई डाउट नहीं जाता है और सरला देवी का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। लेकिन उनकी मृत्यु के तीन-चार दिनों के बाद ही अचानक से जो कमलकांत शाह होते हैं, उनके पेट में भी दर्द होता है। पहले वो घर पे देसी नुस्खे ट्राई करते हैं, आराम नहीं मिलता है तो नजदीक के डॉक्टर के पास जाते हैं।

डॉक्टर को दिखाते हैं, डॉक्टर “पेन किलर” और कुछ “मेडिसिंस” देकर वापस भेज देते हैं, लेकिन कमलकांत के पेट में दर्द नहीं रुक रहा था और उसके साथ ही उन्हें कुछ और प्रॉब्लम भी आनी शुरू हो जाती है, जैसे कि उनके जोड़ों में बहुत “सीवियर पेन” हो रहा था, उनका जो “हेयर फॉल” है, वो अचानक से बढ़ गया था और बॉडी में वीकनेस भी आनी शुरू हो गई थी।

ये सारे सिम्टम्स को देखते हुए, कमलकांत अच्छे हॉस्पिटल में जाते हैं, अपनी ब्लड रिपोर्ट्स कराते हैं, लेकिन ब्लड रिपोर्ट में कोई भी बीमारी नहीं पाई जाती।बट, उनकी हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही थी। उसके बाद, उन्हें बॉम्बे के एक बड़े हॉस्पिटल में एडमिट कराया जाता है, जहां पर उनके फिर से “ब्लड सैंपल्स” लिए जाते हैं, सारी रिपोर्ट्स की जाती हैं, “कंप्लीट बॉडी चेकअप” किया जाता है, लेकिन वहां पर भी उनके शरीर में कोई बीमारी नहीं पाई जाती।

लेकिन, कमलकांत शाह की हालत दिन-प्रतिदिन खराब हो रही थी। डॉक्टर्स को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर किस बीमारी के कारण ऐसा हो रहा है। अठारह सितंबर दो हजार बाईस को कमलकांत शाह की मृत्यु हो जाती है।

अब कमलकांत की मृत्यु भी उनकी माताजी की तरह एक नॉर्मल डेथ हो सकती थी, लेकिन डॉक्टर्स को यहां पर रिपोर्ट में कुछ ऐसा देखने को मिला, जिसके बाद डॉक्टर्स को मजबूरन पुलिस को बुलाना पड़ा। दरअसल, कमलकांत शाह की जो लास्ट रिपोर्ट डॉक्टर्स ने की थी, उसमें कमलकांत के शरीर में “आर्सेनिक” और “थैलियम” की बहुत हाई मात्रा पाई गई थी।

देखो, वैसे तो “आर्सेनिक” और “थैलियम” हमारे शरीर में भी बनता है, जिसकी मात्रा एक से दो यूनिट होती है, लेकिन कमलकांत की मृत्यु से पहले जो उनकी टेस्ट रिपोर्ट आई थी, उसमें “आर्सेनिक” की वैल्यू तीन सौ प्लस और “थैलियम” की वैल्यू चार सौ प्लस पाई गई थी।

कमलकांत शाह मर्डर केस : मुंबई का "सेंटा क्रूज वेस्ट" इलाका, "दत्तात्रेय रोड" में "गणेश कृपा" नाम की एक सोसाइटी थी। इस सोसाइटी के एक फ्लैट में एक परिवार रहता था। इस परिवार में कुल पाँच सदस्य थे। घर के मुख्य सदस्य का नाम "कमलकांत शाह" था,

डॉक्टर्स का मानना था कि इतनी ज्यादा संख्या में “आर्सेनिक” और “थैलियम” जो है, वो शरीर में बन ही नहीं सकता, यानी कि ये दोनों जो सब्सटेंस हैं, इनको “स्लो पॉइजन” के रूप में कमलकांत को दिया जा रहा था।साथ ही, जो डॉक्टर हैं, वो पुलिस को यह भी बताते हैं कि कुछ दिन पहले, कमलकांत शाह की माताजी की भी मृत्यु बिल्कुल इसी प्रकार से हुई थी। उनके भी “सडन ऑर्गन फेलियर” हुए थे और ऐसा ही कुछ कमलकांत के साथ भी हुआ।

मौत के समय, कमलकांत के भी “मल्टीपल ऑर्गन फेलियर” हुए थे, जिसके कारण से उनकी मृत्यु हुई थी। अब जो कमलकांत शाह के रिलेटिव्स वहां पर मौजूद होते हैं, वो पुलिस में “एफआईआर रिपोर्ट” फाइल करते हैं।जो डॉक्टर्स की रिपोर्ट होती है, साथ ही डॉक्टर्स के जो बयान होते हैं, उसके आधार पर कमलकांत की जो डेथ हुई थी, उसको “एज अ मर्डर” ट्रीट करके इसकी छानबीन शुरू कर दी जाती है।

देखिए, कमलकांत की टेस्ट रिपोर्ट, कोट में अगर “आर्सेनिक” और “थैलियम” की वैल्यू मालूम ना चलती और डॉक्टर यहां पर सूझबूझ का परिचय ना देते, तो कमलकांत की जो डेथ है, वो भी एक नेचुरल डेथ में कन्वर्ट हो जाती।लेकिन, डॉक्टर्स ने अपनी सूझबूझ दिखाई, पुलिस को “इंफॉर्म” किया, जिसके बाद इस पूरे केस का खुलासा हुआ।

अब यकीन मानिए, इस केस में आपको हत्या का मोटिव और हत्यारे के बारे में जानकर शॉक लगेगा, तो इस वीडियो को आप लोग अंत तक जरूर देखें। तो चलिए, आज के इस वीडियो में मुंबई की शाह फैमिली के इस हत्याकांड के पीछे की पूरी सच्चाई जानते हैं।अब, जैसा कि “डॉक्टर्स” ने पुलिस को बताया था कि कमलकांत के शरीर में “आर्सेनिक” और “थैलियम” बड़ी मात्रा में पाया गया था, यानी कि किसी ने बाहर से उन्हें “आर्सेनिक” और “थैलियम” की काफी ज्यादा मात्रा दी थी क्योंकि शरीर में नेचुरली इतना ज्यादा प्रोड्यूस नहीं होता है।

अब, पुलिस के सामने सबसे पहला सवाल ये था कि अगर कमलकांत को “आर्सेनिक” और “थैलियम”, यानी कि एक “स्लो पॉइजन” दिया जा रहा था, तो उस व्यक्ति को “आर्सेनिक” और “थैलियम” मिला कैसे, क्योंकि ये ऐसे “सब्सटेंस” हैं, जो “मेडिकल स्टोर” या “हॉस्पिटल” में आपको “इजली अवेलेबल” नहीं होते हैं और कोई आम व्यक्ति इसको खरीद भी नहीं सकता है।

तो पुलिस यहां पर इस केस की “इन्वेस्टिगेशन” स्टार्ट करती है। सबसे पहले, कमलकांत की जो कंपनी होती है, वहां पर “एंप्लॉय” से बात की जाती है, कमलकांत के “फैमिली मेंबर” से बात की जाती है कि कहीं कमलकांत की क्या किसी से कोई दुश्मनी थी, क्या कोई ऐसा विवाद था, जिसके चलते वह कमलकांत के पूरे परिवार को मारना चाहता था।

लेकिन, यहां पर पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगता है। साथ ही, पुलिस यहां पर कमलकांत की “सिस्टर” से भी बात करती है, लेकिन पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लग रहा था।और क्योंकि यह एक मुंबई का हाई-प्रोफाइल केस बन चुका था, तो इसी के चलते इस केस को जो मुंबई पुलिस है, वो “क्राइम ब्रांच” को “हैंड ओवर” कर देती है।

अब “क्राइम ब्रांच” अपनी जांच की शुरुआत करती है और “क्राइम ब्रांच” की जो जांच है, वो बिल्कुल स्टार्टिंग से शुरू होती है। सभी लोगों से अलग-अलग “इंटरोगेशन” किया जाता है, जिसमें कमलकांत की कंपनी के कुछ “वर्कर्स” भी थे, कमलकांत के “फैमिली मेंबर्स” भी थे, उसके कुछ “फैमिली फ्रेंड्स” भी थे, साथ ही कमलकांत की तीनों “सिस्टर्स”, जो “ऑलरेडी मैरिड” थीं, उनसे भी “क्राइम ब्रांच” अलग-अलग “इंटरोगेट” करती है।

अब यहां से “क्राइम ब्रांच” को कोई बहुत बड़ा क्लू तो नहीं मिलता है, लेकिन कमलकांत की बड़ी “सिस्टर” पुलिस को बताती है कि कमलकांत वैसे तो बहुत ही अच्छे “बिहेवियर” का व्यक्ति था, वह सभी की मदद भी करने के लिए तैयार रहता था और वह बहुत ही “साइलेंट बिहेवियर” का व्यक्ति था, बिल्कुल भी “अग्रेसिव” नहीं था।

लेकिन, कमलकांत के पिछले दो साल से अपनी बीवी काजल से रिश्ते कुछ ठीक नहीं थे। और जब डीप इस बारे में पूछा जाता है, तो मालूम चलता है कि जो कमलकांत की “वाइफ” थी, काजल, उसके “फादर” भी “गारमेंट्स” का ही “बिजनेस” करते थे और दो हजार दो में कमलकांत के साथ काजल की शादी की गई थी।

दोनों ही “फैमिली” बहुत ही रिच थी, लेकिन उसके बावजूद भी जो काजल है, वह थोड़ा सा “अग्रेसिव बिहेवियर” की थी। और इसी के चलते, अक्सर कमलकांत के साथ उसके झगड़े हुआ करते थे।और इसी झगड़े के चलते, दो हजार इक्कीस में जो काजल है, वह घर छोड़कर अपने “मायके” चली गई थी। चार-पांच महीने तक वह “मायके” में रही थी, लेकिन “रिलेटिव्स” के समझाने के बाद, वह वापस आने को तो तैयार हो गई थी।

लेकिन, वह “रेंट” पर अलग फ्लैट लेकर रही थी, यानी कि वह कमलकांत और उसकी माताजी सरला देवी के साथ नहीं रही थी।और उसके बाद जो है, अचानक से दो हजार बाईस में काजल का “बिहेवियर” चेंज हुआ और फिर वह घर पर वापस आ गई।और उसके बाद, अगस्त में काजल के साथ सरला देवी और सितंबर में काजल के पति कमलकांत की मृत्यु हो गई।

अब, यहीं से जो “क्राइम ब्रांच” है, उनको एक ऐसा “क्लू” मिल चुका था, जिस पर यह केस पूरा खोल सकता था। और इसी को लेकर, जो “क्राइम ब्रांच” है, वो सबसे पहले काजल की “डिटेल्स” निकलवाती है, उसकी “कॉल डिटेल्स” को चेक करती है, साथ ही कमलकांत की भी “कॉल डिटेल्स” चेक होती है।

अब, यहीं पर जो “क्राइम ब्रांच” है, उनको एक बहुत बड़ा “क्लू” ये मिलता है कि एक नंबर पर काजल पिछले दो साल से बहुत देर तक बातें करती थी। यानी कि जिस वक्त पर वह अपना ससुराल छोड़कर “मायके” गई थी, तब भी वह उस नंबर पर घंटों बात किया करती थी।

ये नंबर किसी और का नहीं, बल्कि कमलकांत शाह के बचपन के दोस्त हितेश का था। हितेश, कमलकांत का “बेस्ट फ्रेंड” था। वह बचपन से उनके घर पर भी आया करता था। कमलकांत की बहनें उसे भाई कहकर पुकारती थीं, “रक्षाबंधन” पर उसे “राखी” भी बांधती थीं।तो, यहां पर पुलिस का जो “डाउट” है, वह हितेश की तरफ जाता है। अब देखो, कमलकांत का दोस्त है, तो उसका नंबर काजल के “मोबाइल” में मिलना कुछ भी गलत नहीं था।

लेकिन, पुलिस का दिमाग ये खटकता है कि जो काजल है, वह हितेश के साथ घंटों तक बातें क्यों किया करती थी।इसी आधार पर, जो पुलिस है, वह काजल को “इंटरोगेशन” के लिए “पुलिस स्टेशन” बुलाती है। और जब सख्ती से काजल के साथ पूछताछ होती है, तो काजल इस बात का खुलासा कर देती है कि वह हितेश के साथ “रिलेशन” में है।

यानी कि पिछले दो साल से काजल का हितेश के साथ “एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर” चल रहा था।काजल, पुलिस को बताती है कि जब भी उसके अपने पति कमलकांत के साथ झगड़े होते थे, तो अक्सर वह उन झगड़ों के बारे में हितेश को बताया करती थी।शुरू में जो हितेश है, वह कमलकांत को समझाया करता था और यह बिल्कुल एक पारिवारिक माहौल था।

लेकिन, धीरे-धीरे जो काजल है, वह हितेश के करीब आती चली गई।जब भी कमलकांत से उसका किसी बात पर झगड़ा होता था—क्योंकि मैंने आपको बताया कि काजल थोड़ा “अग्रेसिव बिहेवियर” की थी—तो वह हितेश को “कॉल” किया करती थी।और यहीं पर जो हितेश है, वह कहीं न कहीं काजल की तरफ “अट्रैक्ट” होता है।काजल भी हितेश की तरफ “अट्रैक्ट” है और ये दोनों “रिलेशन” में आ जाते हैं।

पिछले दो साल से इन दोनों का “रिलेशन” चल रहा था।ये छिप-छिपकर मिला भी करते थे, लेकिन एक दिन इन दोनों को किसी गलत अवस्था में कमलकांत देख लेता है।और यहीं से कमलकांत जो है, वह काजल को समझाता है कि यह पूरी तरह से गलत है।और इसी के चलते, कमलकांत के जो रिश्ते हितेश के साथ पहले बहुत अच्छे थे, वह भी अब खराब हो जाते हैं।

लेकिन, काजल यहां पर कमलकांत को साफ-साफ कह देती है कि वह हितेश के साथ “रिलेशन” में रहेगी।और इसी झगड़े के चलते, दो हजार इक्कीस में काजल अपना घर छोड़कर “मायके” भी चली गई थी।और “मायके” में जाकर भी वह लगातार हितेश के साथ बातें किया करती थी।

लेकिन, किसी तरह से समझा-बुझाकर काजल को वापस बुला लिया जाता है, जिसके बाद वह कमलकांत के साथ उसके घर में न रहकर “रेंट” पर अलग से “फ्लैट” लेकर रहती थी, ताकि उसे हितेश से मिलने-जुलने में कोई दिक्कत न आए।उसके बाद भी जो कमलकांत है, वह काजल को समझाता है।लेकिन, काजल कुछ भी समझने को तैयार नहीं थी।

लेकिन, दो हजार बाईस में कुछ ऐसा हुआ कि काजल अचानक से अपने घर, यानी कि कमलकांत के पास आ गई, जहां पर उसकी सास सरला देवी भी रहा करती थीं।और काजल का “बिहेवियर” भी बहुत ज्यादा बदल चुका था।काजल, अपने पति और अपनी सास के साथ बहुत ही अच्छे से रहने लगी थी।

अचानक से उसका ऐसा “बिहेवियर” देखकर, कमलकांत को लगा कि शायद अब काजल को अक्ल आ गई है।लेकिन, उन्हें काजल के इस “बिहेवियर” के पीछे की सच्चाई मालूम नहीं थी कि कोई भी तूफान आने से पहले एक शांति रहती है और वही शांति काजल के चेहरे पर दिखाई दे रही थी।

अब, काजल यहां पर जो है, हितेश के साथ मिलकर “प्लान” बनाती है कि अगर वह कमलकांत को “डाइवोर्स” देगी, तो उसे “प्रॉपर्टी” का कोई भी हिस्सा नहीं मिलेगा।क्योंकि, जो हितेश है, उसकी नजर भी कमलकांत की “प्रॉपर्टी” पर थी।वह कई करोड़ का मालिक था और काजल और हितेश मिलकर डिसाइड करते हैं कि उन्हें कुछ ऐसा करना पड़ेगा, जिससे कमलकांत से उनका पीछा भी छूट जाए।

और उसे पूरी “प्रॉपर्टी” भी मिल जाए, और इसी के चलते “काजल” और “हितेश” मिलकर एक “प्लान” बनाते हैं। वो “इंटरनेट” पर किसी ऐसे “सब्सटेंस” की तलाश में थे, जो “स्लो पॉइजन” की तरह काम करे। “हितेश” को ऐसे “सब्सटेंस” के बारे में मालूम चल जाता है, जो “आर्सेनिक” और “गैलियम” होता है। अगर इसकी मात्रा किसी व्यक्ति को ज्यादा दे दी जाए, तो उसकी “स्लो पॉइजन” की तरह “बिहेव” करने की वजह से “मौत” हो जाती है, और इसके बारे में बहुत जल्दी से मालूम भी नहीं चलता है।

अब क्योंकि “आर्सेनिक” और “थैलियम” “मार्केट” में “इजली” “अवेलेबल” नहीं होता है, तो इसी के चलते “हितेश” एक “फर्जी कंपनी” बनाता है, उसका “रजिस्ट्रेशन” कराता है, और उसी “कंपनी” में “यूज” करने के लिए “आर्सेनिक” और “थैलियम” को मंगा लेता है। अब यहां पर इनके पास यह “केमिकल” भी आ चुका था, जो यह “काजल” को दे देता है, और “काजल” उसी का “यूज” करके सबसे पहले अपनी “सास” को “रास्ते” से हटाती है।

उसके खाने में, उसके दूध में, उसके पानी में इस “केमिकल” को मिलाया करती थी, जिस कारण से “अगस्त २०२२” में अचानक से “कमलकांत” की माताजी “सरला देवी” की “ऑर्गन फेलियर” की वजह से “मृत्यु” हो गई थी। और उनकी “मृत्यु” के बाद, इसी “केमिकल” का “यूज” वो “कमलकांत” के खाने में भी लगातार कर रही थी, जिससे “कमलकांत शाह” की भी अचानक से तबीयत खराब हुई। उसकी “मृत्यु” के बारे में भी पता ना लगता, अगर “लास्ट” में उसका “हैवी मेटल टेस्ट” ना किया जाता।

उसी “हैवी मेटल टेस्ट” में “डॉक्टर्स” को मालूम चलता है कि “कमलकांत” के “ब्लड” में “आर्सेनिक” और “थैलियम” की बहुत “हाई डोज” पाई गई थी, और उसके बाद ही “पुलिस” को इस बारे में बताया गया था। तो यहां पर इस पूरे मामले का खुलासा हो जाता है। “एविडेंसेस” के आधार पर “काजल” और “हितेश” को “अरेस्ट” कर लिया जाता है। “पुलिस” के सामने यह कबूल भी कर लेते हैं कि इन्होंने इस “केमिकल” का “यूज” करके पहले अपनी “सास” को और फिर “कमलकांत” को “रास्ते” से हटाया था।

“पुलिस” यहां पर “एविडेंस” के तौर पर कई सारी “सीसीटीवी फुटेज” भी पेश करती है, साथ ही “काजल” और “हितेश” की “कॉल डिटेल्स”, साथ ही “हितेश” जो “फर्जी कंपनी” बनाता है, उसके द्वारा “आर्सेनिक” और “थिलियम” जो मंगाया गया था, वो भी “एविडेंस” के रूप में जो है “कोर्ट” के सामने रखा जाता है।

उसके अलावा “कमलकांत शाह” की “मेडिकल रिपोर्ट्स”, जिसमें “आर्सेनिक” और “थैलियम” “हाई डोज” में पाया गया था। इन सारे “सबूतों” के आधार पर “कोर्ट” में इनको पेश किया जाता है, जहां पर लंबे “ट्रायल” के बाद “कोर्ट” इनको “गुनहगार” मानते हुए “सजा” निर्धारित करता है। लेकिन “2024” में जो “काजल” होती है, वो “हाई कोर्ट” में एक “पिटीशन फाइल”करती है,

जिसमें वो कहती है कि इस “केस” में उसका कोई भी हाथ नहीं है। ऐसा कोई भी “एविडेंस” नहीं मिला, जिसमें ऐसा देखा गया हो कि “काजल” ने ऐसा कोई “केमिकल” अपनी “सास” और अपने “पति” को दिया था। साथ ही और बाकी “एविडेंस” के अभाव के कारण “काजल” को “बेल” मिल जाती है। हालांकि “हितेश” अभी भी “जेल” में है। “केस” अभी भी चल रहा है।

हो सकता है कि “फ्यूचर” में “काजल” को भी “सजा” मिले। लेकिन क्योंकि “काजल” के “बीस साल” की “बेटी” और “सत्रह साल” का “बेटा” था, जिसके आधार पर “कोर्ट” उसको “बेल” तो दे देती है। अब आप मुझे “कमेंट” में जरूर बताओ कि “काजल” को “बेल” मिलना क्या सही हुआ या फिर गलत हुआ था। बाकी ऐसे ही “ARTICAL”देखने के लिए आप हमारे “WEBSITE” को “सब्सक्राइब” करना ना भूलें।

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