पाकिस्तान ऑनर किलिंग : कहानी के इस एपिसोड में, उम्मीद है, पूरी फैमिली अच्छी होगी, अपना ख्याल रख रही होगी। अभी हाल में, कुछ महीने पहले, पाकिस्तान से एक वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हुआ, और हर तरफ, लोगों ने उसे खूब देखा, सराहा भी। आवाज लता मंगेशकर की थी। गाना बहुत ही मशहूर “मेरा दिल यह पुकारे आजा”।
और उस गाने पर, एक लड़की जिसका नाम आयशा है, यह पाकिस्तानी है, उसने अपनी सहेली की शादी में इस गाने पर परफॉर्म किया था। उसे भी नहीं मालूम था कि इस गाने पर जो वो डांस कर रही है, वो ना सिर्फ पाकिस्तान में, बल्कि हिंदुस्तान में भी इतना ज्यादा वायरल होगा, इतना पॉपुलर होगा। और देखते ही देखते, आयशा एक स्टार बन गई। पूरा वीडियो वायरल हो गया। यह आज का दौर है।
सन् 2022 की बात है जब यह वीडियो वायरल हुआ। आप सब में से भी, मुझे लगता है, ज्यादातर लोगों ने देखा होगा। लेकिन ठीक 11 साल पहले, इसी पाकिस्तान में, एक और वीडियो वायरल हुआ था। सन् 2012 की बात है। मई का महीना था। लेकिन आयशा के वीडियो के वायरल होने और 11 साल पहले हुए इस वीडियो के वायरल होने में ना सिर्फ जमीन-आसमान का फर्क था, बल्कि बहुत बड़ा खूनी फर्क भी था। आज उसी खूनी वीडियो वायरल की कहानी है।
पाकिस्तान में, एक जगह है। खासतौर पर, यह बहुत सारे लोग जानते हैं। जब से तालिबान और यह सारी चीजें आई हैं, और अफगानिस्तान के करीब भी है, खैबर पख्तूनख्वा, यह हमेशा डिस्टर्ब रहता है। पूरा इलाका पश्तून इलाका है। वहां पर, बहुत सारे वो लड़ाके और तमाम लोग रहते हैं। और खैबर पख्तूनख्वा में, अलग-अलग जो इलाका है, वहां पर ज्यादातर अलग-अलग कबीले (ट्राइब्स) रहते हैं। उनकी अलग-अलग मतलब जैसे हमारे यहां होता है, वैसे ही वहां पर कबीले होते हैं।
आमतौर पर, शहरी जिंदगी से यह लोग कटे होते हैं। इनके अपने दस्तूर, अपना कानून होता है। और जो सरकार और सरकारी कानून है, उनमें से बहुत सारी चीजों को यह लोग नहीं मानते। और सरकार फोर्स भी नहीं करती। उन्हें लगता है, उनके हाल पर छोड़ दो। ऐसे समझिए कि, कुछ ऐसे रिवाज, कुछ रीति, कुछ रस्में होती हैं, जो वो गांव वाले खुद तय करते हैं।
और उसी के हिसाब से, पूरा गांव उसको मानता है, और चलता है। जैसे, कई बार आपने सुना होगा, खाप पंचायत या पंचायत अलग-अलग। तो उनके आदेश, उनके फरमान, कई बार सरकार और संविधान के खिलाफ होते हैं, लेकिन कोई उसके खिलाफ नहीं जाता, जो वहां पर रहता है। तो खैबर पख्तूनख्वा में एक इलाका है, जिसका नाम है “कोहिस्तान”। और यह कहानी “कोहिस्तान वीडियो केस” के नाम से मशहूर है।
तो, इसी कोहिस्तान में, एक फैमिली रहा करती थी। इस फैमिली के तमाम लोग पढ़ाई-लिखाई और अपना बाकी काम-धंधा करते थे। उनमें से एक था अफजल कोहिस्तान। अफजल कुल आठ भाई थे। और अफजल का अपना टेलरिंग शॉप था, शहद का कारोबार था, और खाली वक्त में वो कानून की पढ़ाई किया करता था। तो बाकी अफजल और अफजल के भाई वही रहते थे।
इसी दौरान, अफजल के दो भाई अफजल के साथ रहा करते थे, और अफजल की बीवी भी। तो यह अपने जो पुश्तैनी गांव था, वहां से थोड़ी दूर कारोबार के सिलसिले में, मतलब कोहिस्तान से अलग गदार नाम की एक जगह है, वहां पर रहा करता था। 2010 में, अफजल के दो भाई उनके एक जानने वाले के यहां शादी थी। तो वापस अपने गांव पहुंच जाते हैं।
इनमें से एक का नाम था “यासिर” और एक का नाम था “गुल नजर”। ये दोनों अफजल के भाई थे। अब ये पहुंचते हैं। यह सन् 2010 की बात है, मई-जून का महीना था। वहां जब जाते हैं, तो गांव में एक शादी थी। उस शादी में, तमाम लोग खुश थे। और उसी शादी में, एक वीडियो शूट हो रहा था।
शूट करने वालों में, अफजल का एक भाई था, और दूसरा भाई उस वीडियो में कैद हुआ। वह बाकायदा डांस कर रहा था। और उसी वीडियो में, पांच और लड़कियां थीं। लेकिन इनमें से चार का चेहरा दिखाई दे रहा था। पांचवीं लड़की का चेहरा नहीं दिखाई दे रहा था। और वह पांच तालियां बजा रही थी, गा रही थी।
तो, वीडियो के अंदर, चार लड़कियों का चेहरा, पांचवीं लड़की का चेहरा नहीं, लेकिन वह भी फ्रेम में थी। और साथ में, अफजल का एक भाई उसमें नाचता हुआ, और फिर अफजल का दूसरा भाई वीडियो शूट करता हुआ, क्योंकि बीच में भाई ने भी कुछ शूट किया था।
तो ये सारे वीडियो बना। सन् 2010 में, एक शादी समारोह का। बिल्कुल वैसे ही, जैसे आयशा ने अभी हाल में पाकिस्तान में “मेरा दिल ये पुकारे” पर जो डांस किया था। तो, वैसे ही था। एकदम लगभग। गाने अलग थे, उनके अपने। लेकिन सब कुछ वैसे ही था।
सन् 2010 में यह वीडियो शूट हुआ। शादी-विवाह हो गया, सब कुछ ठीक। लेकिन सन् 2012 में, मई का महीना आया। दो साल हो चुके थे शादी को। अचानक, इस वीडियो को कुछ लोगों ने ऑनलाइन इंटरनेट पर लीक कर दिया। अब जब लीक किया, तो इसी खैबर पख्तूनख्वा के इस इलाके में, यानी कोहिस्तान में भी, वहां के लोकल लोगों ने इस वीडियो को देखा।
अब उसमें देखा कि उनके अपने इलाके की, अपनी कबीलाई। अलग-अलग, वहां पर कबीले के लोग हैं। और सारे के अपने-अपने नियम हैं। तो, जब उन्होंने देखा कि एक शादी में, चार लड़कियां तालियां बजा रही हैं, गा रही हैं। और दो लड़के हैं, एक वीडियो शूट कर रहा है, एक नाच रहा है। एक पांचवीं लड़की भी है।
अब, पांचों की शिनाख्त हो गई। जब उन्होंने देखा, तो यह बात फैली। और इसके बाद, अब उन पांचों लड़कियों की जो पहचान हुई, उनकी जो शिनाख्त थी, उनमें से एक का नाम था “बाजी”। दूसरी का नाम था “शिरीन जान”। तीसरी का नाम “बेगम जान”। चौथी का नाम “अमीना”। और पांचवीं लड़की का नाम “शाहीन” था।
जिसका चेहरा वीडियो में नहीं था, लेकिन “शाहीन” उसमें थी कैद। यह पांचों लड़कियां उस वीडियो में गा रही थीं।
और तालियां बजा रही है, और एक लड़का वीडियो बना रहा है, दूसरा लड़का नाच रहा है। अब, जब इन पांचों की शिनाख्त हो गई, तो वहां यह हुआ कि, इस कबीले के रूल और रीति-रिवाज के खिलाफ है कि लड़कियां नाचें, लड़के वहां मौजूद हो, और ऊपर से वीडियो बनाए, और वीडियो में वो कैद हो। अब, कबीले के अलग-अलग जो लड़ाई-झगड़े, ये सारी चीजें होती थीं, उसका फैसला किया जाता था।
जैसे, अपने यहां, मैंने… ऐसे समझ लीजिए कि, जैसे अपने यहां पंचायत होती है, तो वहां जो पंचायत है, उसका वहां पर नाम “जिर्गा” है। “जिर्गा” मतलब, उस कबीले के जो सम्मानित लोग हैं, जो बुजुर्ग लोग हैं, वह बैठते हैं, 8, 10, 15, 20, और किसी भी मसले का, किसी भी समस्या के बारे में, वो बैठकर तमाम लोगों की बातें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हैं।
तो अब इसमें इश्यू यह था कि, जो शादी थी, वह शादी किसी और कबीले की थी, लड़की की, और ये लड़कियां जो वहां मौजूद थीं, वो उनकी दोस्त थीं, और यह जो लड़का था, यह उन लड़कियों के ही बिरादरी से ताल्लुक रखता था, मतलब कबीले का। अब, जब जिर्गा बैठा, तो यह तय हुआ कि यह गलत है। इस्लाम के रूल के भी खिलाफ है कि लड़कियां ताली बजा रही हैं, गा रही हैं, और वीडियो में कैद हो रही हैं।
जिर्गा बैठने के बाद, यह तय हुआ कि, इस वीडियो में जो पांच लड़कियां दिखाई दे रही हैं, उन पांचों लड़कियों के, उनकी अपनी फैमिली, मतलब उनके अपने बाप और भाई, उन्हें कत्ल कर दें, और जो लड़के हैं, दोनों वीडियो में, उन्हें भी मार दिया जाए। अब, जिर्गा का यह फैसला था, फैसले को आप टाल नहीं सकते, यह फैसला हो चुका था, गुप्त तरीके से। अब इसके बाद, 2012 की बात है, जब वीडियो लीक हो गया था, सब कुछ। तो मई में, यह फैसला आया था जिर्गा का। लीक होने के फौरन बाद, जून, एक महीना भी नहीं बीता, कि पूरे इलाके में खबर फैल गई।
उन पांचों लड़कियों को मार दिया गया। अच्छा, जो दो लड़के थे, वह शादी के बाद फिर अपने भाई अफजल के पास पहुंच गए थे गदार। तो, वहां थे, बाकी परिवार, जो है, उनका वही रह रहा था, अपने गांव में, लेकिन उनका इस शादी और वीडियो से कोई कनेक्शन नहीं था। अब, यह सब कुछ जब हो गया, जून 2012, एक महीना बीत गया, अफजल को अचानक पता चला कि, एक वीडियो जिसमें उसके भाई ने शूट किया था, और एक भाई उसका उसमें डांस कर रहा था, और पांच लड़कियां थीं,
उन पांचों को मार दिया गया, जिर्गा के हुक्म के साथ। यह बात अफजल को बहुत बुरी लगी, कानून की पढ़ाई कर रहा था। उसने जाकर लोकल वहां पर एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस में रिपोर्ट लिखाई कि ऐसा हुआ, लेकिन अब चूंकि वहां पुलिस और बाकी चीजें भी हैं, लेकिन सिर्फ नाम को असली चलता है, कबीलों का अपना-अपना जो नियम। पुलिस ने रिपोर्ट लिखी, उसने कहा, “ठीक है, हम जांच करते हैं।”
फिर पुलिस ने थोड़ी देर के बाद आकर कहा कि, सब बकवास है, पांचों लड़कियां जिंदा हैं और ठीक हैं। लेकिन अफजल को खबर मिल चुकी थी कि, पांचों लड़कियां मरी चुकी थीं। उसे यह भी पता था कि, उन पांच लड़कियों को बुरी तरह टॉर्चर करके मारा गया, और उनके अपने बाप और भाइयों ने ही मारा, और फिर, लास्ट में, उन्हें कहीं फेंक दिया। अफजल को लोकल एडमिनिस्ट्रेशन से मदद मिली नहीं। हर तरफ वो भागता रहा, लेकिन कोई काम नहीं आया।
इसके बाद, वह वहां से बाहर निकलता है, बड़े शहर आता है, और अब अखबारों के चक्कर काटता है, टीवी चैनल के और बताता है, “कैसे, ऐसे ऑनर किलिंग के नाम पर, पांच लड़कियों को मार दिया गया जून 2012 में?” नेशनल मीडिया में पहली बार यह खबर छपती है पाकिस्तान में। अब, पांच लड़कियां इस तरह से मारी गईं, और एक वीडियो वायरल हुआ। तब तक, यह वीडियो भी बहुत सारे लोगों ने देखा, बड़े शहरों में देखा, कराची में देखा, इस्लामाबाद में देखा, लाहौर में देखा। तो, यह हुआ कि, “हां, भाई, यह तो है।” अब, कोशिश रंग लाई, मीडिया के जरिए, जो अफजल है, वह पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट।
पहले लोअर कोर्ट में गया, इधर-उधर कुछ हुआ नहीं। मीडिया में भी चल रहा था, सुप्रीम कोर्ट ने भी, चूंकि ऑनर किलिंग का मामला इशू आ गया था, तो सुप्रीम कोर्ट ने “सुओ मोटो” लेते हुए कहा कि, “इसकी जांच होनी चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई, और कमेटी बनाकर उसमें कुछ महिलाओं को भी शामिल किया, और कहा, “आप लोग पख्तूनख्वा, कोहिस्तान जाएं, और वहां जाकर पता करें कि, जो पांच लड़कियां वीडियो में हैं, ये सचमुच मारी गईं हैं?” सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक कमेटी बनी, उस कमेटी में तमाम लोग थे। वह पहुंचते हैं वहां, पख्तूनख्वा।
वहां जाने के बाद, जो कबीले के लोग थे, पांच लड़कियों को उनके सामने पेश करते हैं। पांच लड़कियां आती हैं, अपना-अपना नाम बताती हैं कि, “मैं बाजग हूं, मैं शीरी हूं, मैं बेगम जान हूं, मैं अमीना हूं, और मैं शाहीन हूं।” कमेटी उन सबको देखती है, जिंदा हैं। कमेटी लौट कर आती है, और अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दे देती है। लेकिन, उस कमेटी में एक और मेंबर थी, एक महिला थी,
और वह महिला एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी है। उन्हें उन लड़कियों को देखकर शक हुआ। उनका कहना था कि, “जो वीडियो में लड़कियां हैं, 2010 में शूट हुआ था, और इसके बाद, जो कमेटी पहुंची है 2012 में, उन पर कुछ फर्क आ रहा है। वीडियो में लड़कियां बड़ी दिखाई दे रही हैं, इनके सामने जो पेश किया गया, वे छोटी दिखाई दे रही हैं।”
तो उसने अपनी बाकी कमेटी के राय से अलग राय दी कि, “मुझे कुछ डाउट है कि, फेक लड़कियों को कमेटी के सामने पेश किया गया।” लेकिन, उनकी बात सुनी नहीं गई, और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “सारी लड़कियां जिंदा हैं, इसलिए केस का कोई मतलब बनता नहीं है,” और केस डिसमिस हो गया। अब, जब केस डिसमिस हो गया, तो अफजल फिर परेशान हो उठा कि, “क्या करें?” अब इसके बाद, अफजल ने फिर इधर-उधर कोशिश करनी शुरू की, मीडिया को बताना शुरू किया, लेकिन किसी ने कुछ माना नहीं। तब तक, अब 2013 की तारीख आ गई।
2013 में, कुछ वहां के जो लोकल पॉलिटिशियन थे, वह पब्लिकली अनाउंस कर रहे थे कि, “यहां पर जो भी जिर्गा या फिर कबीले के नियम और रसूल के खिलाफ जाएगा, उसका हश्र वही होगा,” और एक-दो लीडर ने तो, बल्कि, वहां के एक लेजिस्लेटिव असेंबली के एक मेंबर ने बाकायदा पब्लिकली ऐलान कर दिया कि, “इस वीडियो में जो लीक हुआ था, कोहिस्तान वीडियो, उसमें मौजूद और दिखने वाली हर लड़की को मार दिया गया।”
अब, एक पब्लिक सर्वेंट, एक नेता, एक चुना हुआ मेंबर, पब्लिकली यह कह रहा है, और यह रिकॉर्ड हो गया। जब यह मिला, तो इस रिकॉर्डिंग के साथ अफजल दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। उसने कहा, “देखिए, खुद वहां के चुने हुए जो मेंबर हैं, वह कह रहे हैं कि, ‘वह मारे जा चुके पांच लड़कियां,’ इसलिए इस केस को रिओपन किया जाए।”
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी और सारे वीडियो देखे, सारी चीजें देखी, लेकिन इधर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “ठीक है, हम रिओपन करते हैं,” जैसे ओपन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी। एक दूसरा हादसा होता है अफजल का, जो गांव था, उस गांव में उसके तीन भाई वही रह रहे थे। अफजल किसी और नौकरी के सिलसिले में बाहर था,
लेकिन इसके जो गांव में बाकी परिवार था, जहां रहता था, ओरिजिनल, वह वहां पर थे, उन तीनों उसके तीन भाई थे। 2013 जनवरी में उन तीनों भाई को गोली मारकर मार दिया गया, और अफजल के उस घर को आग लगा दी गई। यह नतीजा था कि उसने सुप्रीम कोर्ट में दोबारा कहा कि केस रिओपन हो।
इससे वहां की जिर्गा और उस कम्युनिटी के लोग भड़क गए और उन्होंने कहा, “यह हमारी इस बिरादरी को बदनाम कर रहा है। एक तो वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें लड़कियां दिख रही हैं, गाते हुए, तालियां बजाते हुए, यह कहीं से हमें मंजूर नहीं है।” तो उसका बदला उन्होंने अफजल के तीन भाइयों से लिया।
इधर, जो अफजल के बाकी दो भाई थे, वो उन्हें उस गांव के लोगों ने पनाह दे दी, जो उसकी एक बिरादरी से ताल्लुक रखते थे, और जो लड़की की भी बिरादरी सेम थी कबीले के हिसाब से। तो, 8 फरवरी को ये ऐलान किया था एक मेंबर ने, और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा कि रिओपन करते हैं, लेकिन उसी दौरान में इन तीन भाइयों का कत्ल कर दिया गया।
अब जब ये खबर आई, तो इसके बाद यह हुआ कि, “मामले में कुछ तो सच्चाई है।” अब सुप्रीम कोर्ट को भी इस तीन कत्ल की खबर मीडिया के जरिए मिली, और कत्ल के तार वीडियो से जुड़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से कमेटी बनाई, और अब यह था कि पिछली बार लड़कियां गलत दिखाई गईं हैं,
तो इस बार इस बात का ध्यान रखा जाए। अब इस बार फिर से एक कमेटी पहुंचती है उसी कबीले के इलाके में, और इस बार भी वह लेडी शामिल थी, उनका नाम है डॉक्टर फरजाना बारी, जो एक प्रोफेसर है यूनिवर्सिटी में, और पिछली बार भी जब वह गई थी, तब उन्होंने शक जताया था कि असली लड़कियां नहीं हैं, और अब वही बात सच निकल रही थी।
तो, सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा कमेटी बनाई, और दोबारा कमेटी बनाने के बाद नवंबर 2016 की तारीख अब आ गई थी। एक कमेटी फिर पहुंचती है गांव। वहां कहा जाता है कि, “पांचों लड़कियों को पेश किया जाए।” पांचों लड़कियां पेश होती हैं, इस बार कमेटी उनकी तस्वीर भी खींचती है। अच्छा, इससे पहले क्या होता है कि सुप्रीम कोर्ट रिओपन केस करता है, तो सुप्रीम कोर्ट पाकिस्तान का कहता है कि, “पांचों लड़कियों को कोर्ट में पेश किया जाए, ताकि सिंपल फैसला हो जाएगा कि ये लड़कियां जिंदा हैं या मर चुकी हैं।
” लेकिन, डिफेंस के लॉयर ने यह कहा कि, “उन पांचों लड़कियों को उनके इलाके से निकालकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाना इस्लामाबाद में यह मुमकिन इसलिए नहीं है कि, वह जिस कबीले से ताल्लुक रखती हैं, वह वहां की लड़कियां खुले में इस तरीके से मर्दों के सामने पेश नहीं हो सकती।” तो इससे, “लॉ एंड ऑर्डर” और बाकी चीजों की बड़ी समस्या आ जाएगी, दिक्कत आ जाएगी, और वह इलाका वैसे ही है।
तब सुप्रीम कोर्ट ने भी मजबूरी समझी, उन्होंने कहा, “ठीक है, वह लड़कियां नहीं आएंगी, कमेटी दोबारा जाएगी।” अब कमेटी के मेंबर दोबारा पहुंचते हैं, डॉक्टर फरजाना बारी भी उस में मौजूद हैं। एक-एक कर तमाम लड़कियों को पेश किया जाता है, और लड़कियों के पेशी के साथ-साथ उनकी तस्वीर भी ली जाती है। हर लड़की वही अपना नाम बताती है जो 2010 के वीडियो में मौजूद थी। अब, पिक्चर के साथ वह लोग आते हैं,
सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देनी है, लेकिन डॉक्टर फरजाना बारी को फिर लगता है कि गड़बड़ हो जाएगा। तो, एक काम करती हैं। राइटर के एक जर्नलिस्ट, जो पाकिस्तान में बेस्ड फरजाना बारी, उससे मिलती है और कहती है, “यह वीडियो है 2010 का वायरल वीडियो, जिसमें लड़कियां ताली बजा रही हैं, और गा रही हैं, और यह तस्वीर है 2016 का, जो कमेटी के साथ हमने खींची। आप सिर्फ यह पता कर सकते हैं, किसी टेक्निक से, नई टेक्नोलॉजी से कि पांचों वही लड़कियां हैं जो वीडियो में हैं।”
राइटर का वह जर्नलिस्ट, वह फोटो और वह वीडियो एक ब्रिटिश इंडिपेंडेंट एजेंसी है, वहां भेज देता है, और कहता है कि उसका नाम था बैरियर्स, डिजिटल बैरियर्स लंदन भेजती है, और वहां उन तस्वीरों को और उस वीडियो में लड़कियों का चेहरा दोनों का मिलान कि 2010 में जो वीडियो में लड़कियां नजर आ रही हैं, 2016 की जो तस्वीर में लड़कियां नजर आ रही हैं, इनमें कितनी समानता है।
उस ब्रिटिश इंडिपेंडेंट एजेंसी ने उस फोटो को डेवलप किया, उनके नई टेक्नोलॉजी के जरिए वीडियो और फोटोग्राफ दोनों को मैच किया। उनकी रिपोर्ट आई, वीडियो में दिख रही लड़कियां और यह जो फोटो आपने पांच लड़कियों की अभी कमेटी के साथ जाकर, यह दोनों अलग-अलग हैं, यह वो लड़कियां नहीं हैं जो उस वीडियो में थी, जो वायरल हुआ। अब, उसकी पूरी रिपोर्ट डॉक्टर फरजाना बारी ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की।
जब सुप्रीम कोर्ट में पेश किया, तो खुद सुप्रीम कोर्ट के जो जज थे, उन्होंने दोनों तस्वीरों, यानी तस्वीर और वीडियो को देखा ध्यान से, और फिर उन्होंने कहा, “जब 2010 में यह वीडियो शूट हुआ था, 2012 में फिर लीक हुआ, तो उस वक्त उन्होंने एक अमीना, जो लड़कियों में शामिल थी, उसके बारे में कहा कि अभी जो तस्वीर दिख रही है, उसके हिसाब से तब 2010 में अमीना की उम्र लगभग 10 साल रही होगी, जो अभी की फोटो है 2016, और उसी तरीके से बाकी लड़कियों की उम्र भी 8, 10 या 12 साल के दरमियान रही होगी,
लेकिन जो वीडियो में पांचों लड़कियां दिखाई दे रही हैं, उनमें से, बल्कि, चार का चेहरा साफ है, एक का नहीं है। वह चारों लड़कियां वीडियो में देखकर साफ-साफ पता चलता है कि इनकी उम्र 20 से 22 साल के दरमियान थी 2010, यानी अगर 2016 की बात करें, तो उसमें 6 साल और जोड़ दीजिए, तो 26 से 28 साल अब उनकी उम्र होगी, लेकिन कमेटी के सामने जो लड़कियां पेश की गईं, पांचों, उनकी जो तस्वीर थी, वह सब 14 से 16 साल की अब उस वक्त 2016 में नजर आ रही थीं। और उस एजेंसी राइटर के जरिए, उन्होंने किया था,
उससे भी पता चल गया कि यह वीडियो और यह अलग-अलग हैं। अफजल को लगा कि अब जीत हासिल है। इसके बाद फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोहिस्तान पुलिस ने आखिरकार 2018 में मुकदमा दर्ज किया, पांच लड़कियों के कत्ल का, तीन भाइयों के अफजल के कत्ल का मुकदमा। किसी और पुलिस स्टेशन में पहले दर्ज हो चुका था, तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोहिस्तान पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।
इसके बाद जांच की, जांच करने के बाद उन्होंने पुलिस ने अपनी रिपोर्ट दी, उसमें यह कहा कि शिरीन जान, बेगम जान और बाजी इन तीन के बारे में कन्फर्म है कि इन तीनों का कत्ल हो चुका है, लेकिन जो बाकी दो लड़कियां हैं, अमीना और एक और, वो जिंदा हैं। यह लोकल पुलिस ने अपनी जात में कहा, लेकिन उनके जिंदा होने का कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आया।
बट यह है कि तीन मारी जा चुकी हैं, और 2012 में जैसे यह लीक हुआ, उसी के 15 दिन के अंदर-इंदर इनका कत्ल हो गया था। इसके बाद इन तीनों लड़कियों के, दो के पिता और एक के भाई, उसका चचेरा भाई था, इन्हें गिरफ्तार किया, और इनको गिरफ्तार किया गया।
पिता और भाई ने एक्सेप्ट किया और बड़े गर्व से एक्सेप्ट किया, क्योंकि उस वक्त यह था कि ऑनर किलिंग और यह सारी चीज़ें, तो उन्हें लगा कि उन्होंने कोई गलत काम ही नहीं किया। तो उन्होंने माना कि हां, हमने मार डाला। इसके बाद फिर मुकदमा चला। भाई, जो पिता थे दोनों, इनको मौत की सजा और भाई को उम्र कैद की सजा दी गई।
बाकी पांच लोगों को जो पकड़ा था, उनको बरी कर दिया गया। इसके अलावा, एक दूसरे पुलिस स्टेशन और दूसरे कोर्ट में, अफजल के तीन भाई को, जब मारा गया, कत्ल किया गया, उसके बाद उनका घर जला दिया गया, उसमें से एक को फांसी की सजा हुई, और बाकी लोगों को पांच लोग और थे, उनमें से उन्हें 25 साल की कैद की सजा सुनाई गई।
तो इस तरीके से अफजल अपनी एक लड़ाई जीत चुका था। अकेला वह शख्स था, जो 2012 से इस मुहिम में जुटा हुआ था। तो करीब छ से सात साल तक एक लंबी लड़ाई अफजल ने लड़ी, अफजल कोहिस्तान ने लड़ी, लेकिन इसका नतीजा फिर यह हुआ कि अब इस लड़ाई को लड़ने के बाद, वह अपने आबाई वतन, यानी अपने गांव, अपने उस इलाके में जा नहीं सकता था,
क्योंकि तमाम कबीले के लोग उसके खिलाफ हो चुके थे कि इसने कबीले की मान मर्यादा को तोड़ा है। इसलिए वह अब दरबदर हो गया। कुछ मीडिया के लोगों ने, कुछ और लोगों ने मदद की, और वह इधर से उधर भटकता रहा, फिर वह एटाबाद पहुंच गया, वही एटाबाद, जहां उसामा बिन लादेन को मारा गया था,
अमेरिकी जो कमांडो थे, सील, उन्होंने मारा था, नेवी सी, तो वह एटाबाद में रह रहा था, अपने एक और भाई और भतीजे के साथ। 6 मार्च 2019, 6 मार्च 2019, एटाबाद में उसका पता चल गया, और वही उसके कबीले के लोग, जिस कबीले से ताल्लुक रखती थीं
वह पांच लड़कियां, वह लोग उसका लगातार पीछा कर रहे थे। 6 मार्च 2019 को उन्हें मौका मिला, और वह जब अपने घर की तरफ गुजर रहा था, एटाबाद में, सरेआम उसे गोलियों से छलनी कर दिया गया, और अफजल की मौत हो गई। तो एक केस, जिसे वह एक कबीले से उठाकर पाकिस्तान के शहर-शहर, घर-घर तक पहुंचाया, कानूनी लड़ाई लड़ी, सुप्रीम कोर्ट तक गया, सजा दिलाई, उन पांच लड़कियों का सच जमाने के सामने लाया,
ऑनर किलिंग की कहानी सामने लाई, लेकिन आखिर में इस सच को सच साबित करने का अंजाम यह हुआ कि खुद अफजल को भी मार दिया गया। आज भी यह पाकिस्तान में कहानी ऑनर किलिंग, या फिर यह कहें कि जो अफजल की एक लड़ाई है, वह कोहिस्तान वीडियो केस के नाम से जाना जाता है।
तो मुझे यही याद आया कि जब इस कहानी को शुरू कर रहे थे कि वक्त कैसे बदलता है, या फिर जगह और बाकी चीज़ें भी मायने रखती हैं। बहुत तेजी से हम लोग बेशक तरक्की करें, लेकिन एक ही देश में बहुत सारे ऐसे इलाके हैं, जहां आज भी पुरानी रस्में, रिवायत, रिवाज उसी तरीके से मानी जाती हैं।
उसी पाकिस्तान में एक आयशा जो रातो रात स्टार बन जाती है और उसी पाकिस्तान के एक हिस्से में पांच ऐसी मासूम लड़कियां जो सिर्फ ताली बजा रही थी और गाने गा रही थी उन्हें मार दिया जाता है तो ये थी कहानी i
जागरूकता बढ़ाने का उद्देश्य
इस घटना का उद्देश्य समाज को सचेत करना और जागरूकता फैलाना है। आपकी राय इस घटना के बारे में क्या है? कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। यदि यह लेख उपयोगी लगे, तो इसे शेयर करें और हमारे Website को सब्सक्राइब करें।
NOTE:- हम इंटरनेट डेटा के आधार पर समाचार लेख तैयार करते हैं और इन लेखों में किसी भी प्रकार की त्रुटि या जानकारी की कमी हो सकती है। यदि आपको हमारी वेबसाइट पर किसी लेख में कोई गलत जानकारी दिखे, तो कृपया हमें बताएं। हम 24 घंटे के भीतर उस लेख को सही करेंगे और आपको बेहतर जानकारी प्रदान करेंगे।
शक्तिवर्धक गोलियां खाकर प्रेमिका के साथ बनाए संबंध, कैसे हुई मौत? Crime Katha,1
ALSO READ :-
पाकिस्तान ऑनर किलिंग,कोहिस्तान वीडियो केस, वायरल वीडियो कहानी, ऑनर किलिंग