मां बनी दुल्हन : एक दिन, एक मां ने अपनी बेटी के फोन में ऐसी आपत्तिजनक तस्वीरें देखीं, जो उसने अपने दोस्त के साथ खिंचवाई थीं। यह तस्वीरें उसने अलग-अलग दोस्तों को भी भेजी थीं। बेटी के इस व्यवहार को देखकर उसके माता-पिता सन्न रह गए और तुरंत उसकी शादी तय करने का फैसला कर लिया।
जब बारात दुल्हन के दरवाजे पर पहुंची, तो उनकी बेटी अपने दोस्त के साथ भाग गई। इज्जत बचाने के लिए उसकी मां ने खुद दुल्हन बनकर शादी कर ली। लेकिन असली ड्रामा तब शुरू हुआ, जब सुहागरात का समय आया। कमरे से अजीब-अजीब आवाजें आने लगीं, और जब परिवार के लोग अंदर गए, तो जो उन्होंने देखा, उससे उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं।
कमलप्रीत और उसका पति मंजीत, दोनों एक साधारण परिवार से थे और हंसी-खुशी जीवन बिता रहे थे। उनकी शादी को बाईस साल बीत चुके थे। शादी के पांच साल बाद उनके घर एक बेटी का जन्म हुआ। बेटी के बड़े होने के बाद, दोनों ने सोचा कि अब उसकी शादी के लिए कोई अच्छा लड़का ढूंढा जाए।
कमलप्रीत को अपनी बेटी के व्यवहार पर शक था। उनकी बेटी घंटों कमरे में बंद रहकर मोबाइल पर पता नहीं किससे बातें करती रहती थी। एक दिन, कमलप्रीत ने बेटी का फोन चेक किया। जो उसने देखा, उससे उसके होश उड़ गए। फोन में बेटी की कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें थीं, और ये तस्वीरें उसने किसी को शेयर की थीं। इसके अलावा, एक लड़के के साथ भी उसकी तस्वीरें थीं। यह सब देखकर कमलप्रीत के रोंगटे खड़े हो गए।
वह सोचने लगी कि जिसे वे इज्जत के साथ शादी के बंधन में बांधना चाहते थे, वह तो इज्जत की कीमत ही नहीं समझती। कमलप्रीत बार-बार अपनी किस्मत को कोसने लगी। उसे लगने लगा कि बेटी को ज्यादा छूट देना, बड़े कॉलेज में पढ़ाना और उसके शौक पूरे करना उसकी सबसे बड़ी गलती थी।यह परिवार मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहता था। परिवार में कुल तीन सदस्य थे – मंजीत, कमलप्रीत और उनकी बेटी।
एक दिन, मंजीत अपनी पत्नी से कहता है कि वह पंचायत चुनाव में खड़ा होना चाहता है और अपनी किस्मत आजमाना चाहता है। कमलप्रीत अपने पति को समझाती है, “हमारा काम नहीं है चुनाव लड़ना। इसमें लोगों को खुश करना पड़ता है, पैर जोड़ने पड़ते हैं, और आदमी की छवि भी बहुत अच्छी होनी चाहिए।”यह सुनकर मंजीत बोलता है, “क्या मेरी छवि खराब है? क्या मैं इतना खराब इंसान हूं?”
इस पर कमलप्रीत कहती है, “नहीं जी, मेरा ऐसा मतलब नहीं था।” लेकिन उसके मन में अपनी बेटी का डर बना हुआ था। उसे लगता था कि अगर उनकी बेटी ने कुछ और गलत किया, तो गांव में उनकी इज्जत खत्म हो जाएगी और कोई उन्हें वोट नहीं देगा।
चुनाव में अभी दो सप्ताह बचे थे। इसी बीच, कमलप्रीत और मंजीत ने अपनी बेटी की शादी के लिए लड़का ढूंढना शुरू किया। लेकिन उनकी बेटी के फोन में मिली तस्वीरों ने पूरे परिवार को हिला दिया।
एक दिन, कमलप्रीत अपनी बेटी की हरकतों से परेशान होकर अपने पति मंजीत को सारी सच्चाई बता देती है। जैसे ही मंजीत यह सब सुनता है, वह अवाक रह जाता है
उसकी पत्नी उसे समझाते हुए कहती है, “हमारी बेटी के चाल-चलन से मुझे डर लग रहा है। अगर वह इसी तरह घर से भाग गई, तो हमारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। लोगों को अगर इस बारे में पता चला, तो पंचायत चुनाव में कौन हमें वोट देगा?”
मंजीत यह सुनकर घबरा जाता है। वह समझ जाता है कि अगर बात बाहर निकली, तो बदनामी से उनका जीना मुश्किल हो जाएगा। अपनी बेटी की हरकतों को छिपाने और अपनी इज्जत बचाने के लिए वह आनन-फानन में बेटी की शादी तय करने का फैसला करता है।
मंजीत अपने एक दोस्त के पास जाता है, जिसका बेटा शादी के लायक था। मंजीत उससे कहता है, “मैं अपनी बेटी की शादी आपके बेटे से करना चाहता हूं, और यह शादी अगले बारह दिनों के अंदर होनी चाहिए।”
यह सुनकर लड़के के पिता के मन में शंका होती है। वह सोचने लगता है, “इतनी जल्दी शादी क्यों करना चाहते हैं? क्या कोई गड़बड़ है?” लेकिन मंजीत उसे कई तरह के बहाने देकर मना लेता है। आखिरकार, लड़के का परिवार शादी के लिए राजी हो जाता है, और शादी की तारीख तय हो जाती है।
शादी का दिन आता है। बारात दरवाजे पर पहुंच चुकी होती है। घर में ढोल-नगाड़े बज रहे होते हैं। हर जगह खुशियां छाई होती हैं। लेकिन जैसे ही लड़की दूल्हे को देखती है, उसके होश उड़ जाते हैं। दूल्हा लगभग पैंतीस साल का था, जबकि लड़की महज बाईस साल की थी।
लड़की को यह रिश्ता बिल्कुल पसंद नहीं आता। वह अपने प्रेमी से फोन पर बात करती है और तुरंत फैसला कर लेती है कि उसे इस शादी से भागना है।
शादी वाले दिन, जब सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं, कमलप्रीत अपनी बेटी के कमरे में जाती है। वह दरवाजे पर खड़ी होकर कहती है, “बारात आ चुकी है, जल्दी तैयार हो जाओ। तुम्हारी सहेलियां भी बाहर इंतजार कर रही हैं।”
लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आती। कमलप्रीत घबराकर दरवाजा खोलती है। कमरे में उसकी बेटी नहीं होती। वह बाथरूम, छत और हर जगह उसे ढूंढती है, लेकिन वह कहीं नहीं मिलती।
कमलप्रीत समझ जाती है कि उसकी बेटी भाग गई है। यह सोचकर वह परेशान हो जाती है। वह तुरंत अपने पति मंजीत को बुलाती है और पूरी बात बताती है। जब मंजीत यह सुनता है, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है।
वह सोचने लगता है, “अब तो पूरे गांव में हमारी इज्जत खत्म हो जाएगी। लोग कहेंगे, देखो, यह वही आदमी है जिसकी बेटी मंडप से भाग गई। इसे कौन वोट देगा?”
मंजीत सर पकड़कर बैठ जाता है और कहता है, “अब क्या करें? अगर सच्चाई सबके सामने आई, तो हमारी बेइज्जती हो जाएगी।”
कमलप्रीत सुझाव देती है, “बारातियों को सच बता देते हैं। कह देते हैं कि हमारी बेटी का किसी और के साथ संबंध था, इसलिए वह शादी के लिए तैयार नहीं थी और भाग गई।”
लेकिन मंजीत गुस्से में कहता है, “मैं अपनी इज्जत दांव पर नहीं लगा सकता। यह बात किसी को नहीं बतानी चाहिए। अगर लोग जान गए, तो मैं समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगा।”
मंजीत अचानक एक चौंकाने वाला सुझाव देता है। वह अपनी पत्नी से कहता है, “तुम दुल्हन का जोड़ा पहन लो और शादी कर लो। तुम अभी भी जवान दिखती हो। बारातियों को यह पता भी नहीं चलेगा कि दुल्हन बदल गई है।”
कमलप्रीत हैरान होकर कहती है, “क्या बकवास कर रहे हो? मैं अपनी बेटी की जगह उसके होने वाले पति से शादी कर लूं? यह कैसे हो सकता है?”
मंजीत उसे समझाने की कोशिश करता है, “यह सिर्फ कुछ दिनों की बात है। वहां जाकर तुम कोई बहाना बनाकर लौट आओगी। लड़के ने तुम्हें कभी देखा भी नहीं है। वह तुम्हें पहचान भी नहीं पाएगा। और तुम बूढ़ी थोड़ी हो। तुम तो अभी भी जवान और खूबसूरत लगती हो।”
कमलप्रीत गुस्से में कहती है, “यह सब ठीक है, लेकिन मेरा ईमान इस बात की गवाही नहीं देता। शादी के बाद वह मुझे अपनी पत्नी मान लेगा। फिर अगर वह सुहागरात मनाना चाहे, तो?”
मंजीत कहता है, “अगर वह सुहागरात मनाता है, तो उसे मनाने दो। उस वक्त वह तुम्हारा पति ही तो होगा। यह सब कुछ दिन की बात है। उसके बाद मैं तुम्हें वापस बुला लूंगा।”कमलप्रीत काफी परेशान हो जाती है।
कमलप्रीत कमरे में दुल्हन के लिबास में बैठी थी। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। कमरे में हल्की-सी रोशनी थी, और चारों तरफ अजीब-सी खामोशी पसरी हुई थी।
वह सोच रही थी कि आखिर उसकी जिंदगी उसे यहां कैसे ले आई। आज से कुछ दिन पहले तक उसकी जिंदगी बिल्कुल सामान्य थी, लेकिन आज वह उस लड़के की दुल्हन बन चुकी थी, जो उसकी बेटी का होने वाला दूल्हा था।
यह उसकी मजबूरी थी, उसका अपना फैसला नहीं। उसका पति, जिसे उसने हमेशा अपना सहारा माना था, ने ही यह अजीबो-गरीब फरमाइश की थी। उसने कहा था, “अगर हमारी बेटी शादी से भाग गई है, तो तुम दामाद के साथ शादी कर लो। हमारी इज्जत बच जाएगी।”
कमलप्रीत के पास कोई विकल्प नहीं था। बेटी के भाग जाने के बाद समाज का सामना करने की हिम्मत उसमें नहीं थी। पति की बात मानकर उसने शादी का जोड़ा पहन लिया और मंडप में चली गई।शादी के फेरे लेते वक्त उसकी आंखें नम थीं। वह सोच रही थी कि आखिर यह सब किस ओर ले जाएगा।
फेरे खत्म होने के बाद, वह उस लड़के के घर पहुंच गई, जो अब समाज के सामने उसका पति था। लेकिन असल में, वह इस रिश्ते को अपना नहीं पा रही थी।
अब वह सुहागरात के कमरे में बैठी थी। कमरे में सजावट थी, फूलों की खुशबू थी, लेकिन कमलप्रीत का मन बेचैन था। उसके हाथ-पैर कांप रहे थे। वह सोच रही थी कि कुछ ही देर में वह लड़का कमरे में आएगा। क्या मैं उसे सच बता दूं? वह खुद से सवाल कर रही थी, या फिर चुप रहूं और सब कुछ सह लूं?
थोड़ी देर बाद लड़का कमरे में आया। वह लगभग पैंतीस साल का था, लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। कमरे में घुसते ही उसने दरवाजे की कुंडी बंद कर दी और बेड की ओर बढ़ने लगा। कमलप्रीत का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
लड़का जैसे ही घूंघट उठाने की कोशिश करता है, कमलप्रीत उसे रोक देती है। “रुको,” उसकी आवाज में दृढ़ता थी। लड़का चौक कर रुक जाता है और कहता है, “क्या हुआ? कुछ कहना है?”
कमलप्रीत गहरी सांस लेते हुए बोलती है, “मैं आपको एक सच्चाई बताना चाहती हूं। यह जानने के बाद आपकी जो मर्जी हो, आप कर सकते हैं।” लड़का सिर हिलाकर कहता है, “ठीक है, बताइए।”
कमलप्रीत ने अपना घूंघट उठा दिया और उसकी ओर देखा। वह थोड़ी देर तक चुप रही, फिर बोलना शुरू किया, “आप सोचते हैं कि मैं आपकी पत्नी हूं, लेकिन असल में मैं आपकी पत्नी नहीं हूं। मैं तो आपकी सास बनने वाली थी। आपकी असली दुल्हन, यानी मेरी बेटी, फेरे होने से पहले घर से भाग गई। हमारी इज्जत बचाने के लिए मेरे पति ने मुझे मजबूर किया कि मैं उसकी जगह ले लूं। यह शादी मेरे लिए एक समझौता थी, मजबूरी थी। मेरी खुशी इसमें कहीं नहीं थी।”
यह सुनते ही लड़के के होश उड़ गए। “क्या?” उसने हैरान होकर कहा। “तो फिर यह सब क्यों किया गया? मुझे धोखा क्यों दिया गया?”कमलप्रीत ने गहरी सांस ली और कहा, “यह सब आपकी वजह से नहीं हुआ। यह हमारी मजबूरी थी। मुझे माफ कर दीजिए।”
लड़का कुछ देर तक चुप रहा। फिर उसने पास रखी सफेद चादर उठाई और उसे बिस्तर पर बिछाने लगा। यह देखकर कमलप्रीत का दिल और तेज धड़कने लगा। “क्या यह मेरी बात का असर नहीं ले रहा?” वह सोचने लगी। “यह तो पूरी तैयारी के साथ आया है। शायद मेरी सच्चाई सुनकर भी यह अपनी सुहागरात मनाने पर अड़ा हुआ है।”
चादर बिछाने के बाद लड़का बोला, “अब मैंने नई चादर बिछा दी है। आगे जो भी होगा, देखा जाएगा।” यह कहकर वह कमरे से बाहर चला गया।
कमलप्रीत उसकी हरकतों को समझ नहीं पा रही थी। “यह आखिर क्या कर रहा है?” वह सोचने लगी। “शायद यह बाहर बाथरूम जा रहा है और फिर वापस आकर वहीं करेगा, जो उसने सोचा है।”
कमलप्रीत अभी भी बिस्तर पर बैठी थी। उसका मन लगातार उथल-पुथल कर रहा था। “क्या मैं इस रिश्ते को स्वीकार करूं या फिर इस रिश्ते को यहीं खत्म कर दूं?”
कमरे के बाहर सन्नाटा था। रात का समय था, और कमलप्रीत एक अजनबी के घर में थी। उसकी नई शादी के बाद उसे जबरदस्ती इस आदमी के साथ भेजा गया था।
हालांकि, कमलप्रीत के मन में बेचैनी थी। वह जानती थी कि उसके साथ कुछ गलत होने वाला है। जब वह कमरे में इधर-उधर देख रही थी, तभी उसकी नजर बेड के नीचे पड़े एक लोहे के पाइप पर पड़ी। उसने तुरंत पाइप उठा लिया और दरवाजे के पीछे छिप गई।
तभी वह आदमी कमरे में दाखिल हुआ। जैसे ही वह पास आया, कमलप्रीत ने पूरी ताकत से उसके सिर पर पाइप दे मारा। वह आदमी तड़पते हुए जमीन पर गिर गया।कमलप्रीत ने बिना समय गंवाए वहां से भागने का फैसला किया।
जब कमलप्रीत घर पहुंची, तो उसके पति ने दरवाजा खोला। लेकिन उसके चेहरे पर गुस्से के बजाय हैरानी थी। उसने कहा, “तुमसे इतना भी नहीं संभला? पंचायत चुनाव के लिए तुम्हें यह सब करना ही होगा।”
कमलप्रीत के कानों में यह बात किसी हथौड़े की तरह गूंजी। उसने जवाब दिया, “तुम्हारी पंचायत, तुम्हारी कुर्सी और तुम्हारी इज्जत सब जाए भाड़ में। मैं चुप इसलिए थी क्योंकि मैं तुम्हारी पत्नी थी। लेकिन मेरी आत्मा ने यह गवारा नहीं किया कि मैं अपनी इज्जत बेच दूं।”
यह सुनकर उसका पति मंजीत आगबबूला हो गया। उसने कहा, “मुझे तुमसे इज्जत से कोई मतलब नहीं। मुझे सिर्फ कुर्सी चाहिए। अगर तुम्हारे साथ कुछ गलत हो भी जाता, तो मैं तुम्हें वापस अपना लेता। लेकिन तुमने मेरे सारे किए-कराए पर पानी फेर दिया।”
कमलप्रीत को अब यकीन हो गया कि मंजीत को सिर्फ अपनी कुर्सी से मतलब है। उसने चुपचाप अपना सामान उठाया और घर छोड़ दिया।
कमलप्रीत का नया पति, जिससे उसकी हाल ही में शादी हुई थी, उसे रास्ते में ढूंढता हुआ मिल गया। उसने कमलप्रीत को अपने घर ले जाकर बैठाया और कहा, “तुमने जो कुछ किया, उसे गलत समझा। मैंने तुम्हें नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं रखा था।”
कमलप्रीत ने पूछा, “तो फिर तुमने बेड पर नई चादर क्यों बिछाई थी?”उसने कहा, “वह चादर गंदी थी, इसलिए मैंने इसे बिछाई। मैं सिर्फ पानी पीने के लिए बाहर गया था। तुम्हारी ईमानदारी जानने के बाद मैंने तुम्हारे साथ कुछ भी करने का ख्याल छोड़ दिया था। लेकिन तुमने गलतफहमी में मुझे मार दिया।”
यह सुनकर कमलप्रीत शर्मिंदा हो गई और माफी मांगी। उसने कहा, “मुझे लगा तुम भी मेरी इज्जत के पीछे हो। मैंने डर और गुस्से में यह कदम उठाया।”अब कमलप्रीत का पुराना पति मंजीत चुनाव हार चुका था। न तो उसे कुर्सी मिली, न पत्नी।
उसका नया पति, जिसने कमलप्रीत का साथ दिया, समाज के सामने उसका सम्मान करता रहा। उसने कहा, “तुम मेरी पत्नी हो। मैं तुम्हारी हर हाल में रक्षा करूंगा। तुम्हारा चाल-चलन और ईमानदारी मेरी नजरों में बहुत ऊंचा है।”
कमलप्रीत ने धीरे-धीरे अपनी नई जिंदगी में कदम रखा। मंजीत अब अपनी लालच और झूठ की वजह से अकेला पड़ चुका था।कमलप्रीत का नया घर और नई जिंदगी अब सुकून और खुशी से भरी थी।
कहानी का संदेश:
इस कहानी का मकसद किसी को नीचा दिखाना नहीं, बल्कि यह सिखाना है कि जिंदगी में सही फैसले लेना कितना जरूरी है। हमें कभी अपनी आत्मा और ईमानदारी के खिलाफ नहीं जाना चाहिए। अगर आपके साथ कुछ गलत हो रहा हो, तो हिम्मत से उसका सामना करें।
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