“गुमशुदा से लेकर मौत तक: राखी श्रीवास्तव और नेपाल कनेक्शन की रहस्यमय कहानी” |राखी श्रीवास्तव की गुमशुदगी 2

राखी श्रीवास्तव की गुमशुदगी :- यह साल 2018 था। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर के शाहपुर थाना क्षेत्र और सरस्वतीपुरम इलाके में राजेश्वरी श्रीवास्तव नाम की एक लड़की रहती थी। उसे प्यार से सभी लोग “राखी श्रीवास्तव” कहकर पुकारते थे। उसका परिवार गोरखपुर में ही रहता था, लेकिन वह अकेली इस इलाके में रहती थी। वह अकेली क्यों रहती थी, यह बात आपको इस कहानी में आगे चलकर मालूम चलेगी।

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इसी इलाके में एक और परिवार रहता था, जो बिहार से ताल्लुक रखता था। इस परिवार में अक्सर एक लड़का आया करता था, जिसका नाम था “मनीष सिन्हा।” मनीष बिहार के गया जिले का रहने वाला था और डिफेंस में नौकरी करता था। वह अक्सर अपने रिश्तेदारों के पास शाहपुर थाना क्षेत्र, सरस्वतीपुर में आया करता था। राखी श्रीवास्तव भी उसे अक्सर देखा करती थी।

देखते-देखते, इन दोनों के बीच दोस्ती हो गई, जो जल्द ही प्यार में बदल गई। इसके बाद, दोनों ने शादी करने का फैसला किया। राखी ने मनीष से कहा कि उसके परिवार वाले इस शादी के लिए कभी राजी नहीं होंगे, इसलिए दोनों कोर्ट मैरिज कर लेते हैं। राखी ने मनीष से कहा, “हम कोर्ट मैरिज के बाद तुम्हारे घर चलेंगे।”

फिर ऐसा ही हुआ। मनीष और राखी ने कोर्ट मैरिज कर ली। शादी के बाद, मनीष राखी को अपने घर, बिहार के गया जिले लेकर गया। राखी वहां मनीष के परिवार में अच्छे से एडजस्ट हो गई। मनीष भी अपनी ड्यूटी पर लौट गया।

कुछ दिनों बाद, मनीष छुट्टी लेकर वापस आया और अपनी पत्नी के साथ घूमने का प्लान बनाया। दोनों ने हनीमून के लिए नेपाल जाने का निर्णय लिया। 1 जून 2018 को मनीष और राखी फ्लाइट से नेपाल गए। वहां उन्होंने 3 दिन ठहरने का प्लान बनाया।

नेपाल में उन्होंने घूमने-फिरने और मस्ती का भरपूर आनंद लिया। 3 जून की शाम को, उनकी वापसी की फ्लाइट थी। मनीष ने राखी से कहा, “सामान पैक कर लो, हमें वापस जाना है।” लेकिन राखी ने मना कर दिया और कहा, “मुझे अभी और घूमना है। तुम जाओ, मैं बाद में आ जाऊंगी।” राखी पहले से ही स्वतंत्र स्वभाव की थी, तो मनीष ने सोचा कि उसे कोई दिक्कत नहीं होगी।

मनीष 3 जून 2018 को शाम की फ्लाइट लेकर वापस चला गया और अपनी ड्यूटी पर लौट गया। अगले दिन, 4 जून को मनीष ने सुबह राखी को कॉल किया। दोनों की बात हुई और हालचाल पूछकर कॉल खत्म हो गई।

4 जून की शाम को भी मनीष ने राखी को कॉल किया। कॉल मिल रही थी और बात हो रही थी। लेकिन 5 जून की सुबह, जब मनीष ने कॉल किया, तो राखी ने फोन नहीं उठाया। मनीष ने सोचा कि शायद वह थकी हुई होगी और सो रही होगी। लेकिन शाम तक, जब मनीष ने बार-बार कॉल किया और राखी ने फोन नहीं उठाया, तो वह परेशान हो गया।

इसके बाद, मनीष ने देखा कि राखी का व्हाट्सएप ऑनलाइन है। वह सोचने लगा कि अगर वह ऑनलाइन है, तो कॉल क्यों नहीं उठा रही। लगातार तीन-चार दिनों तक कॉल करने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला। इससे मनीष और ज्यादा परेशान हो गया।

दो हफ्तों के बाद, मनीष ने ड्यूटी से छुट्टी ली और सबसे पहले अपने घर बिहार गया। फिर बिना देर किए, नेपाल के लिए रवाना हो गया। नेपाल पहुंचकर वह उसी होटल गया, जहां उन्होंने ठहराव किया था। वहां पता चला कि 3 जून 2018 की शाम को राखी ने भी होटल से चेकआउट कर लिया था।

राखी श्रीवास्तव की गुमशुदगी
राखी श्रीवास्तव की गुमशुदगी

मनीष ने दो दिनों तक नेपाल में अपनी पत्नी की खोजबीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। फिर उसने राखी के भाई “अमर प्रकाश” से संपर्क किया और सारी बातें बताईं। लेकिन राखी का परिवार, जो पहले से ही इस शादी से खुश नहीं था, सारा दोष मनीष पर डाल दिया।

परिवार ने कहा, “राखी तुम्हारे साथ नेपाल गई थी और वहीं से गायब हुई है। तुम्हें ही पता होगा कि वह कहां है।” इसके बाद, राखी के भाई अमर प्रकाश और परिवार ने 24 जून 2018 को मनीष सिन्हा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी। एफआईआर में “किडनैपिंग” और “अटेम्प्ट टू मर्डर” जैसे गंभीर आरोप लगाए गए।

अब पुलिस बिना देरी किए मनीष को गिरफ्तार कर लेती है। हालांकि मनीष पुलिस को सारी बातें बताता है कि वह राखी की पत्नी है और वह भी उसे ढूंढ रहा है, लेकिन पुलिस अपनी जांच शुरू करती है। पुलिस राखी की मोबाइल लोकेशन चेक करती है और उसके मैसेजेस की जांच करती है। पता चलता है कि मनीष लगातार राखी से संपर्क करने की कोशिश कर रहा था। सभी सबूतों के आधार पर पुलिस यह निष्कर्ष निकालती है कि मनीष का इस मामले में कोई हाथ नहीं है। मनीष बेगुनाह साबित होता है, और पुलिस उसे छोड़ देती है।

हालांकि, सवाल यह बना रहता है कि अगर राखी नेपाल में है, तो वह मनीष से बात क्यों नहीं कर रही है? और अगर वह नेपाल में नहीं है, तो आखिर राखी कहां है? यह केस बहुत पेचीदा और रोचक हो गया है।यूपी पुलिस अपनी जांच शुरू करती है। सबसे पहले, वह राखी के मोबाइल की लोकेशन ट्रैक करती है, जो गुवाहाटी में पाई जाती है। पुलिस को लगता है कि राखी गुवाहाटी में किसी के साथ है और अपने पति और परिवार से संपर्क नहीं करना चाहती। इस वजह से पुलिस इस केस को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती।

समय बीतता जाता है, जून से अक्टूबर आ जाता है, लेकिन फिर राखी की मोबाइल लोकेशन बंद हो जाती है। उसकी आईडी भी डीएक्टिवेट हो जाती है। मनीष सिन्हा इस बारे में पुलिस को बताता है, और मामला हाईलाइट होने के बाद पुलिस एक्शन में आती है।

केस को एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) को सौंपा जाता है। एसटीएफ जांच शुरू करती है और जून से अक्टूबर तक की राखी की लोकेशन चेक करती है। लोकेशन से पता चलता है कि 1 जून से 3 जून तक राखी नेपाल में थी। इसके बाद उसकी लोकेशन गुवाहाटी में पाई गई।

एसटीएफ नेपाल पुलिस से संपर्क करती है और राखी की तस्वीरें भेजती है। नेपाल पुलिस अपने रिकॉर्ड चेक करती है और इंडियन पुलिस को एक महिला की मृत शरीर की तस्वीरें भेजती है। नेपाल पुलिस बताती है कि 8 जून 2018 को पहाड़ी के नीचे एक महिला की डेड बॉडी मिली थी।

एसटीएफ इस बात की पुष्टि करती है कि वह महिला और कोई नहीं, बल्कि राखी श्रीवास्तव थी। राखी की मौत की पुष्टि हो जाती है, लेकिन सवाल यह बना रहता है कि 8 जून के बाद भी उसका मोबाइल कैसे एक्टिव रहा?एसटीएफ नेपाल जाकर वहां की जांच करती है और उस होटल का सीसीटीवी फुटेज चेक करती है, जहां राखी और उसका पति रुके थे। हालांकि, वहां से कोई बड़ा सुराग नहीं मिलता।

इंडिया वापस आने के बाद पुलिस राखी के कॉल डिटेल्स चेक करती है। पता चलता है कि उसने एक नंबर पर कॉल किया था, जो गोरखपुर के एक डॉक्टर डीपी सिंह का था। एसटीएफ डॉक्टर डीपी सिंह से पूछताछ करती है, लेकिन वह किसी भी संबंध से इनकार करता है।

पुलिस उसकी लोकेशन ट्रैक करती है और पाती है कि 3 जून से 6 जून तक डॉक्टर डीपी सिंह की लोकेशन राखी के साथ मैच कर रही थी। पुलिस नेपाल बॉर्डर पर जाकर जांच करती है और डीपी सिंह की कार का रिकॉर्ड निकालती है, जिससे पुष्टि होती है कि वह नेपाल में था।

डॉक्टर डीपी सिंह को गिरफ्तार किया जाता है। पूछताछ में वह मानता है कि उसका राखी से अफेयर था। उसने 2011 में राखी से शादी भी की थी, लेकिन बाद में वह उससे दूरियां बनाने लगा। राखी उसे लगातार ब्लैकमेल करती थी।

डॉक्टर डीपी सिंह, राखी से पीछा छुड़ाने के लिए, 2018 में उसे नेपाल लेकर गया और वहां उसकी हत्या कर दी।यह मामला डॉक्टर डीपी सिंह की गिरफ्तारी के साथ खत्म होता है। लेकिन यह कहानी हमें दिखाती है कि कैसे लालच और गलत इरादों की वजह से इंसान खुद के साथ-साथ दूसरों की जिंदगी भी तबाह कर देता है।

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