“बरेली का साइको किलर: 9 सिलसिलेवार हत्याओं की दिल दहला देने वाली कहानी”

बरेली का साइको किलर : 2 जुलाई, 2024, उत्तर प्रदेश के बरेली के पास होसपुरा के एक गांव में, एक व्यक्ति सुबह सात बजे के आसपास अपने खेत पर जाता है। लेकिन जैसे ही वह गन्ने के खेत में पहुंचता है, वह देखता है कि एक महिला की मृत शरीर उसके खेत में पड़ी हुई है। घबराकर वह तुरंत अपने गांव के ग्राम प्रधान के पास जाता है और उन्हें इस घटना की सूचना देता है। इसके बाद पुलिस को फोन करके बुलाया जाता है।

शुरुआती जांच में मालूम होता है कि मृत शरीर अनीता देवी की है, जो उसी गांव की रहने वाली थीं। इस महिला की उम्र लगभग पैंतालीस साल थी। उसके पति, सोमपाल को मौके पर बुलाया जाता है, और बॉडी की शिनाख्त कर पूछताछ शुरू की जाती है।

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जांच में पता चलता है कि एक दिन पहले, यानी 1 जुलाई, 2024 को, अनीता देवी अपने मायके गई थीं और रात को वहां से लौट रही थीं। लेकिन पूरी रात वह अपने घर नहीं पहुंचीं, और अगले दिन, 2 जुलाई, 2024 को, उनकी मृत शरीर खेत में पाई गई।

पहले यह एक सामान्य हत्या का मामला लग रहा था, लेकिन जब पुलिस मृत शरीर की बारीकी से जांच करती है, तो उन्हें पता चलता है कि लगभग सात महीने पहले, इस तरह के एक या दो नहीं, बल्कि पूरे आठ हत्याएं हो चुकी थीं। पुलिस को यह समझ में आता है कि यह कोई साधारण हत्या का मामला नहीं, बल्कि एक सिलसिलेवार हत्याओं (सीरियल किलिंग) का मामला है।

अब इस कहानी को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा और इनसे पहले हुई आठ हत्याओं का विश्लेषण करना होगा। यकीन मानिए, इस कहानी में इतने ट्विस्ट और टर्न्स हैं कि इसे सुनकर पूरे गांव और पुलिस के लिए विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि ऐसा कौन कर सकता है। तो चलिए, आज के इस वीडियो में सिलसिलेवार हत्याओं की पूरी कहानी का विश्लेषण करते हैं।

इस पूरी कहानी की शुरुआत 5 जून, 2023 से होती है, जब उत्तर प्रदेश के बरेली के प्रतापपुर नाम के एक गांव में पचास साल की कलावती की मृत शरीर मिलती है। पुलिस जब उनकी मृत शरीर की जांच करती है, तो पाती है कि उनकी हत्या गला दबाकर की गई थी और गला दबाने के लिए उनकी साड़ी के पल्लू का इस्तेमाल किया गया था।

"बरेली का साइको किलर: 9 सिलसिलेवार हत्याओं की दिल दहला देने वाली कहानी"

अब तक यह मामला एक साधारण हत्या का लगता था, लेकिन इसके कुछ दिनों बाद, यानी 19 जून, 2023 को, पास के ही कुलसा नाम के गांव में धनवती नाम की पचास साल की महिला की मृत शरीर पाई गई। पुलिस को इस वक्त तक यह मालूम नहीं था कि पहले मिली मृत शरीर और इस मृत शरीर के बीच कोई संबंध है या नहीं। पुलिस इन दोनों मामलों की जांच अलग-अलग एंगल से कर रही थी।

लेकिन, पुलिस तब चौंक जाती है जब 30 जून, 2023 को प्रेमवती नाम की एक पचपन साल की महिला की मृत शरीर आनंदपुर गांव में मिलती है, जो बरेली में ही पड़ता है। अब यहां से पुलिस को शक होने लगा कि कहीं न कहीं इन हत्याओं के बीच कोई संबंध हो सकता है।

लेकिन, क्योंकि सभी मृत शरीरों के पास से न तो कोई सबूत मिला, न मरने वालों की किसी से दुश्मनी थी, और न ही इन तीनों का आपस में कोई जान-पहचान थी, इसलिए कोई सुराग न मिलने के कारण पुलिस इस मामले को सुलझाने में असमर्थ महसूस कर रही थी।

पुलिस इस मामले की जांच कर ही रही थी कि 22 जुलाई, 2023 को एक और हत्या हो जाती है, जिसमें इसी तरह से एक महिला की मृत शरीर गन्ने के खेत में पाई जाती है। यह महिला भी पचास साल से अधिक उम्र की थी और उसकी हत्या भी चुनरी से गला दबाकर की गई थी। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की, लेकिन उसके अगले ही महीने, यानी 7 अगस्त, 2023 को, उसी इलाके के एक गांव में एक और मृत शरीर पाई गई। यह पांचवीं लाश थी, जो बिल्कुल एक ही तरीके से पाई गई थी।

इस महिला की उम्र भी पचास साल से अधिक थी, और उसकी मृत शरीर भी गांव के पास खेत में मिली। इस महिला की भी गला दबाकर हत्या की गई थी। इन सभी मृत शरीरों में एक बात समान थी कि हत्या या तो महिला की चुनरी से गला घोटकर की गई थी, या फिर साड़ी के पल्लू का इस्तेमाल किया गया था।

यहां तक, पुलिस को यह साफ हो गया था कि इन सभी मामलों के पीछे किसी एक ही व्यक्ति का हाथ है। लेकिन, पुलिस को कोई भी सुराग न मिलने के कारण यह मामला सुलझ नहीं पा रहा था। अब, क्योंकि यह मामला बरेली में बहुत ज्यादा चर्चा का विषय बन चुका था, पुलिस ने इसे गंभीरता से लेना शुरू कर दिया।

पुलिस ने तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया। पुलिस को लगा कि शायद ये ही असली अपराधी हैं, क्योंकि उनकी गिरफ्तारी के बाद कुछ समय तक यह मामला शांत हो गया था। लेकिन फिर, 31 अक्टूबर, 2023 का दिन आता है, जब एक और महिला की मृत शरीर बिल्कुल उसी स्थिति में पाई जाती है। इसके बाद, यह सिलसिला फिर से शुरू हो जाता है।

20 नवंबर को एक और मृत शरीर, और फिर 26 नवंबर को एक और मृत शरीर मिलती है। यहां तक कि कुल आठ महिलाओं की हत्या हो चुकी थी, और यह सभी हत्याएं एक ही तरीके से की गई थीं। अब पुलिस को यह समझ में आ गया था कि जिन लोगों को उन्होंने गिरफ्तार किया था, वे अपराधी नहीं थे। क्योंकि उनके जेल में रहते हुए भी तीन और हत्याएं हो चुकी थीं।

इस तरह, इन आठ हत्याओं की मिस्ट्री को सुलझाना बरेली पुलिस के लिए नामुमकिन साबित हो रहा था। पुलिस की जांच से यह स्पष्ट हो गया था कि इन सभी हत्याओं को करने वाला व्यक्ति बहुत ही चालाक है। वह न तो कोई सबूत छोड़ता है, और न ही उसे किसी ने आज तक देखा है।

इस दौरान, लगभग सात महीने का समय बीत गया। पुलिस कोई भी सबूत या सुराग नहीं ढूंढ पाई। लेकिन अच्छी बात यह थी कि इन सात महीनों में कोई नई हत्या नहीं हुई थी। पुलिस को लगने लगा कि शायद यह मामला अब शांत हो जाएगा।

लेकिन, फिर आता है 2 जुलाई, 2024 का दिन, जिसके बारे में मैंने शुरुआत में बात की थी। बरेली के भोजपुर गांव में अनीता देवी की मृत शरीर मिलती है, और यह भी उसी तरीके से हत्या का मामला था। अब पुलिस को यकीन हो गया था कि जो भी इस सिलसिलेवार हत्याओं के पीछे है, वह फिर से सक्रिय हो गया है और उसने अपनी नौवीं हत्या को अंजाम दे दिया है।

इस स्थिति के कारण पुलिस के लिए मामला बेहद गंभीर हो गया। इसके चलते पुलिस ने एक बड़े ऑपरेशन की योजना बनाई। इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन तलाश” नाम दिया गया। पुलिस ने कुल 22 टीमें बनाई और अपने कुछ पुरुष और महिला कांस्टेबलों को आसपास के गांवों में आम नागरिक के रूप में भेजा, ताकि वे वहां की परिस्थितियों का जायजा ले सकें।

वो लोग, गांव में इस तरह से रहते थे, जैसे वो वहीं के रहने वाले हों। वो खेत में काम भी करते थे, और पूरे गांव पर नजर भी रखते थे। इसके साथ ही, पुलिस ने बरेली के पच्चीस किलोमीटर की रेडियस में आने वाले उन सभी गांवों में, जहां से ये मृत शरीर मिली थीं, पंद्रह सौ से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल कराए।

इसी के बाद पुलिस को एक सफलता मिलती है। पुलिस को कैमरे में एक अनजान व्यक्ति दिखता है, जिसकी पहचान शायद कुछ गांववालों ने भी की थी। क्योंकि गांव में रहने वाले हर व्यक्ति के बारे में एक-दूसरे को जानकारी होती है, अनजान चेहरा तुरंत पहचान में आ जाता है।

इसी कारण, पुलिस ने एक स्केच तैयार कराया। इस व्यक्ति को कई गांवों में देखा गया था। यह स्केच सभी गांवों में रिलीज किया गया, और जहां-जहां इस व्यक्ति को देखा गया था, वहां पर घोषणा की गई कि कोई भी महिला अकेले घर से बाहर न निकले।

इतनी मेहनत करने के बाद, पुलिस को आखिरकार एक सुराग मिल ही गया। जो स्केच पुलिस ने बनाया था, वही शायद इन नौ हत्याओं के पीछे का असली हत्यारा हो सकता है।

8 अगस्त, 2024 को पुलिस के पास एक व्यक्ति कॉल करता है। वह कहता है कि जिस स्केच को आपने गांव में लगाया है, उसने उस व्यक्ति को अभी-अभी इस गांव में देखा है। पुलिस बिना देरी किए उस गांव में पहुंचती है और उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेती है।

देखने से पुलिस को लग रहा था कि शायद उन्होंने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, क्योंकि जिस व्यक्ति को पकड़ा गया, वह थोड़ा मंदबुद्धि जैसा लग रहा था। वह सामान्य लोगों की तरह नहीं दिखता था। गिरफ्तारी के बाद भी, वह पुलिस से बातें कर रहा था, पुलिस के साथ हंस रहा था और बड़े अधिकारियों से हाथ मिला रहा था। उसकी इन हरकतों को देखकर पुलिस को लगा कि शायद उन्होंने गलत आदमी को पकड़ लिया है।

लेकिन, यकीन मानिए, पुलिस ने बिल्कुल सही व्यक्ति को पकड़ा था। जिस व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उसका नाम कुलदीप गंगवार था। उसकी उम्र पैंतीस साल थी, और वह बाकरपुर गांव का रहने वाला था।

कुलदीप के पिता बाबूराम ने बताया कि उसकी मां का देहांत उसके बचपन में ही हो गया था। इसके बाद, उसकी सौतेली मां उसके साथ सही व्यवहार नहीं करती थी। इसी कारण, कुलदीप बचपन से ही मानसिक दबाव में रहता था और थोड़ा मंदबुद्धि जैसा था।

2014 में उसके पिता बाबूराम ने उसकी शादी करा दी थी। लेकिन, दो साल के बाद ही, अपनी पत्नी के साथ मारपीट करने के कारण वह उससे अलग हो गई। कुलदीप ने बचपन से ऐसा माहौल देखा था, जिसमें महिलाओं पर अत्याचार होता था। उसके पिता भी उसकी मां के साथ अत्याचार करते थे। वही व्यवहार उसने अपनी पत्नी के साथ किया, जिसके चलते उसकी पत्नी भी उसे छोड़कर चली गई।

इसके बाद, कुलदीप कभी अपनी बहनों के यहां, तो कभी किसी रिश्तेदार के यहां रहने चला जाता था। क्योंकि वह दिखने में थोड़ा मंदबुद्धि जैसा लगता था, लोग उस पर तरस खाकर उसे खाना खिला देते थे और पुराने कपड़े दे देते थे।

कुलदीप के पास न तो कोई मोबाइल था, न ही कोई सवारी, जैसे बाइक या साइकिल। वह पैदल ही सफर करता था और सड़क के रास्ते के बजाय खेतों के रास्ते से जाता था।पुलिस को इन सब बातों की जानकारी मिल जाती है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर इन नौ हत्याओं के पीछे कुलदीप का उद्देश्य क्या था।

जब कुलदीप से पूछताछ की गई, तो पहले तो पुलिस को यकीन ही नहीं हुआ कि यही असली हत्यारा है। लेकिन, जब कुलदीप ने पूरी कहानी बताई, तो पुलिस भी यकीन करने पर मजबूर हो गई।

कुलदीप ने बताया कि जब भी वह खेत के रास्ते से गुजरता था और खेत में किसी महिला को देखता था, तो वह उस महिला से शारीरिक संबंध बनाने की मांग करता था। जब महिलाएं मना कर देती थीं, तो गुस्से में आकर वह उनका कत्ल कर देता था।

कुलदीप ने जितनी भी महिलाओं को अपना शिकार बनाया, उनकी उम्र पैंतालीस से पचास साल से ऊपर की थी। उसे पता था कि इस उम्र की महिलाएं उसका ज्यादा विरोध नहीं कर पाएंगी। जब महिलाएं उसकी मांग को ठुकरा देती थीं, तो उसकी ईगो हर्ट होती थी। गुस्से में, वह उनकी चुनरी या साड़ी के पल्लू से उनका गला दबा देता था।

पुलिस ने कुलदीप को सभी क्राइम सीन्स पर ले जाकर उन सीन को रीक्रिएट किया। कुलदीप ने छह हत्याओं को कबूल किया। उसने स्वीकार किया कि ये हत्याएं उसने की थीं। बाकी तीन हत्याओं की जांच अभी भी चल रही है।

गांव वालों का मानना था कि पुलिस ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। लेकिन, पुलिस के पास जो सबूत थे, उनके आधार पर यह साबित होता था कि असली हत्यारा कुलदीप ही है।

हर हत्या के बाद, कुलदीप उस महिला का कोई न कोई सामान अपने साथ ले जाया करता था। जैसे, पल्लू का टुकड़ा, बिंदी, या बालों में लगाने वाला क्लच। ये सामान कुलदीप के पास से बरामद भी हुए।

कुलदीप की गिरफ्तारी के बाद से, हत्याओं का सिलसिला रुक गया। इससे यह साफ हो गया कि असली कातिल कुलदीप ही था।

तो, यह था बरेली का साइको किलर, कुलदीप गंगवार। आप इस कहानी से क्या सीखते हैं? अपनी राय कमेंट में जरूर द

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